रविवार, 31 अक्तूबर 2010

मेजबान देशों ने हमेशा ही बटोरे पदक

ओ.पी. पाल
उन्नीसवें राष्ट्रमंडल खेलों में मेजबान खिलाड़ियों के बेजोड़ प्रदर्शन से भारत ने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिये हैं और पदकों के लिहाज से भी भारत के लिए यह पहला मौका है जो सर्वाधिक स्वर्ण पदक लेकर पदक तालिका में शीर्ष पर चल रही आस्टेÑलिया के बाद दूसरे स्थान पर है। इससे पहले राष्टÑमंडल खेलों में भारत कभी चौथे स्थान से ऊपर नहीं पहुंच पाया था। राष्ट्रमंडल खेलो का इतिहास भी गवाह है कि मेजबान देशों के खिलाड़ियों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बदौलत भरपूर पदक बटोरे हैँ। राष्ट्रमंडल के इतिहास में स्वर्ण पदक हासिल करने के आधार पर न्यूजीलैंड को पछाडकर भारत ने चौथा स्थान भी बना लिया है।
दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में मंगलवार को नौवें दिन तक की स्पर्धाओं में भारत के लिए सबसे अच्छी खबर यह रही कि उसने राष्ट्रमंडल खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके पदकों की तालिका में भी दूसरा स्थान पर कायम रखा है और पदकों के लिहाज से पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिये हैँ। जहां तक पदक तालिका में मेजबान भारत का दूसरा स्थान पाने का सवाल है वह भी पहला मौका है कि आस्ट्रेलिया के बाद वह अपना दबदबा बनाये हुए है। भारतीय खिलाड़ियों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 के मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में रहा जिसमें 30 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 69 पदक हासिल किये थे और पदक तालिका में वह चौथे स्थान पर था। हालांकि 2006 के मेलबोर्न राष्ट्रमंडल में भी पदक तालिका में अपने आपको चौथे स्थान पर कायम रखा। इसलिए कहा जा सकता है कि राष्ट्रमंडल खेलों का वह इतिहास दिल्ली में भी गवाह बना, जिसमें मेजबान देशों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देखने को मिलता है। भारत की मेजबानी के कारण कम से कम भारत को अपने प्रदर्शन को संवारने का मौका तो मिल ही गया है। राष्ट्रमंडल खेलो से पहले भारतीय खिलाड़ियों से पदक तालिका में तीसरे स्थान की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इस उम्मीद से भी आगे बढ़कर भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसके विपरीत यह दिगर बात है कि आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देश अपनी जमीन के अलावा विदेशों में भी दबदबा कायम रखने में सफल रहते हैं। यही कारण है कि राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के नौवें दिन तक शीर्ष पर है जिसने अभी तक 707 स्वर्ण पदक समेत कुल 1851 पदक समेटे हैं। जबकि इंग्लैंड के हिस्से में आज तक 606 स्वर्ण पदक समेत 1806 पदक आये हैं। अब तक के 19 राष्टÑमंडल खेलों में तीसरे स्थान पर कनाडा रहा है जिसके हिस्से में दिल्ली में बटोरे गये 23 स्वर्ण पदक समेत 379 स्वर्ण पदक के साथ कुल 1254 पदक हैँ। जबकि 19वें राष्ट्रमंडल खेलों से पहले तक भारत 102 स्वर्ण, 97 रजत और 72 कांस्य पदकों समेत 271 पदकों के साथ पांचवें स्थान पर था, जिसने भारत की मेजबानी में हो रहे खेलों के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बदौलत अपने पदकों में 31 स्वर्ण, 25 रजत व 28 कांस्य पदक अपनी झोली में डालकर न्यूजीलैंड को पछाड़ कर चौथा स्थान कायम कर लिया है और उसके आज 12 अक्टूबर 2010 तक 133 स्वर्ण, 122 रजत और 100 कांस्य पदकों समेत 355 पदक अपने नाम कर लिये हैं। जबकि चौथे स्थान से खिसक कर पांचवे स्थान पर पहुंचे न्यूजीलैंड के खाते में अभी तक 126 स्वर्ण समेत 550 पदक हो गये हैं।
उन्नीसवें राष्ट्रमंडल खेलों में पदक तालिका में चोटी पर काबिज आस्ट्रेलिया का भारत की मेजबानी के बावजूद दबदबा कायम है, जिसे पार पाना अन्य देश के लिए नामुमकिन हो चुका है। पहली बार दूसरे स्थान पर चल रहे भारत के पदक आस्ट्रेलिया के मुकाबले अभी तक आधे भी नहीं हैँ। आस्ट्रेलिया और कनाडा ने अब तक चार चार बार राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी कर चुका है, जबकि इंग्लैंड और न्यूजीलैंड को दो-दो बार मेजबानी करने का मौका मिला है। हालांकि ग्रेट ब्रिटेन के अन्य शहरों में भी इन खेलों का आयोजन होता रहा है। राष्ट्रमंडल खेलों की पदक तालिका में आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड शीर्ष स्थान के लिए हमेशा जूझते रहे हैं, लेकिन जैसे ही आस्टेÑलिया को 1938 में सिडनी राष्ट्रमंडल खेल आयोजित कराने का मौका मिला तो उसने उसका फायदा उठाया और इंग्लैंड को पछाडकर अपने को पदक तालिका में शीर्ष पर कायम किया, लेकिन उससे अगले लंदन राष्ट्रमंडल खेलों में फिर से इंग्लैंड शीर्ष पर पहुंचा, तो आस्ट्रेलिया फिर लगातार दो बार इंग्लैंड से पिछडा रहा। जैसे ही आस्ट्रेलिया को 1962 में पर्थ में इन खेल कराने का मौका मिला तो उसने इंग्लैंड जैसे कई देशों को कोसो दूर छोड़कर शीर्ष स्थान कायम किया। इसके बाद जमैका में इंग्लैंड ने आस्टेÑलिया को पीछे छोडकर फिर बाजी मारी। 1978 में कनाडा को भी पदक तालिका में शीर्ष पर आने का मौका मिला। शीर्षता को कायम रखने में चली आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की होड यहीं खत्म नहीं होती और आस्ट्रेलिया ने ब्रिस्बेन में मेजबानी करते हुए शीर्ष स्थान काबिज किया। मैनचेस्टर और मेलबोर्न में भी ये दोनों देश पदक तालिका में मेजबानी के बल पर अपने-अपने बादशाह रहे। भारत में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलडियों के शानदार प्रदर्शन के सामने इंग्लैंड को तो उबरने का मौका नहीं मिला, लेकिन आस्ट्रेलिया ने अपना दबदबा कायम रखा। फिर भी भारत के लिए मेजबानी करने के कई फायदे हुए जिसने राष्ट्रमंडल खेलों में पदकों के रिकार्ड तोड़ने के साथ राष्ट्रमंडल में स्वर्ण पदकों के आधार पर भी अपने को पांचवे पायदान से उठकर चौथे स्थान पर छलांग लगाई है।

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