उन्नीसवें राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी भारतीय खिलाड़ियों को काफी रास आ रही है, जिसमें राष्ट्रमंडल के इतिहास के साथ भारतीय खिलाड़ियों ने भी इतिहास रचने का सिलसिला आगे बढ़ाया। खासतौर पर एथलेटिक्स में भारत ने फिर से अपना सिक्का जमाया, जिसमें महिला एथलेटिक्स ने कहीं ज्यादा शानदार प्रदर्शन करके इतिहास रचने का काम किया है। राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में यह पहला अवसर है कि एथेलेटिक्स में भारत के हिस्से में दस या उससे ज्याद पदक आये हैं। महिलाओं एथलेटिक्स कृष्णा पूनिया और रिले टीम ने तो इस राष्ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स में नए अध्याय जोड़े हैं।
देखा जाए तो भारत उड़नपरी पीटी ऊषा ने 1986 में सोल एशियाई खेलों से एथलेटिक्स में भारत को जिस वूमैन पावर को उजागर किया था उसे भारतीय महिला खिलाड़ियों ने नया मुकाम देने का काम किया है, जिसमें एथलेटिक्स में एक नई जान फूंकने का काम किया गया है। दरअसल पीटी ऊषा के संन्यास लेने के बाद ओलंपिक से लेकर राष्ट्रमंडल खेलों तक भारत को एथलेटिक्स में इतना कमजोर माना जाने लगा था कि अपने जमाने के दिग्गज धावक मिल्खा सिंह ने खेलों के दौरान एक विवादास्पद बयान भी दे दिया कि भारत एथलेटिक्स में एक भी पदक नहीं जीत पाएगा, लेकिन भारतीय महिलाओं ने उड़न सिख के इस दावे को खोखला साबित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके एथेलेटिक्स में पदकों की संख्या को पहली बार दहाई के अंक में पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाई। भारत की कृष्णा पूनिया ने महिलाओं की चक्का फेंक में स्वर्ण पदक जीता, जो भारत का राष्ट्रमंडल खेलों की एथलेटिक्स में 52 साल बाद सोने का पहला तमगा था। इस स्पर्धा में रजत और कांस्य भी भारतीय महिलाओं के हिस्से में आए, जिसमें हरवंत कौर ने रजत और सीमा अंतिल ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। चक्का फेंक की इस सफलता के बाद चार गुणा 400 की रिले दौड में मनजीत कौर, सिनी जोस, अश्विनी चिदानंदा अकुंज और मनदीप कौर ने स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय एथलेटिक्स का झंडा बुलंद किया। भारत की इस स्वर्णिम सफलता पर मिल्खा सिंह को अपने बयान पर पछतावा हुआ होगा, तभी उन्होंने कहा कि भारतीय लडकियों ने एथलेटिक्स को एक नई राह दिखाई है। इसके अलावा भारत ने तीन रजत और सात कांस्य पदक सहित कुल 12 पदक हासिल किए जो एक नया रिकार्ड है। भारत को जो तीन रजत पदक मिले, उनमें से दो महिला खिलाड़ियों ने हासिल किए। हरवंत ने यदि चक्का फेंक में दूसरा स्थान हासिल किया तो प्रजूषा मल्लिकल ने महिलाओं की लंबी कूद में रजत पदक हासिल किया। जबकि महिलाओं ने तीन कांस्य पदक (कविता राउत ने दस हजार मीटर) सीमा अंतिल और चार गुणा 100 मीटर रिले टीम)भी जीते। इस तरह से महिला एथलीटों ने कुल सात पदक हासिल करके भारतीय महिलाओं की क्षमता को प्रदर्शित किया है, जो भारत के लिए भविष्य की राह तय करता है। इन राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं ने यदि परचम लहराया तो पुरुष एथलीट में हरमिंदर सिंह ने 20 किमी पैदल चाल में भारत को पहला पदक दिलाया, जबकि विकास गौड़ा ने चक्का फेंक में रजत पदक हासिल किया तो रंजीत माहेश्वरी (त्रिकूद), काशीनाथ नाइक (भाला फेंक) और चार गुणा 100 मीटर रिले टीम ने कांसे का तमगा हासिल किया। इस प्रकार पुरुष के हिस्से में आए पांच पदक भी भारत में एथलेटिक्स के उज्जवल भविष्य को दर्शाते हैं।
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