दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल एक दम सिर पर हैं लेकिन जामा मस्जिद के निकट विदेशी पर्यटकों पर फायरिंग और फिर मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के निकट खिलाड़ियों के खेलगांव से आने जाने के लिए बनाया गया फुटओवर ब्रिज का हिस्सा गिरने तथा कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के अध्यक्ष माइकल फेनल द्वारा खेलगांव का दौरा करने पर उठाए गये सवालों ने एक बार फिर राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति को जोर का झटका दिया है।
उन्नीसवें राष्ट्रमंडल खेलों की नई दिल्ली में तीन अक्टूबर को शुरूआत होनी है और पिछले तीन दिन में राष्टीय राजधानी में जिस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं वह राष्ट्रमंडल खेलों की दृष्टि से भारत की स्लमडॉग के दाग को धोने की मुहिम को करारा झटका है। राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों को लेकर पिछले चार माह से जिस प्रकार सवाल उठाये जा रहे हैं उससे उबरते हुए आयोजन समिति के साथ केंद्र व दिल्ली सरकार ने जिस प्रकार की तत्परता, सतर्कता और अधूरे काम को पूरा करने की शक्ति को कई गुणा करके राष्ट्रीय राजधानी को विदेशी मेहमानों के सामने स्वस्थ्य और सुंदरता के रूप में एक मिसाल कायम करने के लक्ष्य बिखरता नजर आ रहा है। तीन दिन पहले जामा मस्जिद के निकट विदेशी पर्यटकों पर फायरिंग ने जहां खेलों के दौरान दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये, वहीं आज यानि मंगलवार को दो ऐसी ताजा घटनाओं ने सीधे राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान विदेशी खिलाड़ियों की सुविधा, सुरक्षा और अन्य संसाधनों को ही सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। जामा मस्जिद की घटना के अगले दिन कल सोमवार को राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने ताल ठोककर कहा था कि सभी 71 देशों के खिलाड़ियों और अधिकारियों का दल दिल्ली आएगा। सुरेश कलमाडी का यह बयान ऐसे समय आया जब आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन व न्यूजीलैंड आदि कुछ देश दिल्ली आने और न आने का फैसला नहीं कर पा रहे हैं। कलमाडी के बयान को मंगलवार को कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के अध्यक्ष माइकल फेनल के नेतृत्व में विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने जब खेल गांव का दौरा किया तो विदेशी मेहमान वहां की स्थिति को देखकर बिफरते नजर आए और फिनेल ने यहां तक कह दिया कि खेल गांव खिलाड़ियों के रहने के लायक नहीं है, जहां सुविधाओं को लेकर सवाल उठाए गये। जब कि पिछले सप्ताह ही खेल गांव का उद्घाटन करके वहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई है। वहीं केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति को उस समय झटका लगा, जब जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से खेलगांव तक खिलाड़ियों के लिए बनाये गये फुटओवर ब्रिज का हिस्सा ढ़ह गया। मसलन पिछले तीन दिन की ताजा घटनाओं से राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर भारत की मुश्किलें बढ़ती नजर आने लगी हैँ।
भारत का लक्ष्य रहा है कि राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में एक लक्ष्य राजधानी को साफसुथरे ढंग से विदेशी पर्यटकों और खिलाड़ियों के सामने पेश करना है। इसके लिए दिल्ली सरकार ने भिखारियों को दिल्ली से हटाने और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की गई, तो वहीं लोगों से थूकने की आदत छोड़ने की अपील तक की गई। वैसे भी अनित्य देह के लिए नित्यकर्म आवश्यक होता है और इसकी सार्वजनिक प्रस्तुति एक राष्ट्रीय परंपरा है। इसका कारण भी है कि जब यहां विदेशी पर्यटक आते हैं, तो तस्वीर खींचते हैं और राष्ट्रीय गरिमा को आघात पहुंचता है। राष्ट्रमंडल खेलों के जरिए एक नये भारत की तस्वीर उभरने का सपना देखा जा रहा है, जिसे बनाये रखने के लिए इसी बात का ध्यान रखना है कि दिल्ली में कहीं स्लमडॉग न दिख जाएं! भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों के लिए हजारों करोड़ो रुपये बहाये हैं और ये खेल भारत की गौरवशाली परंपरा के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल है, लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में भारत के पास ऐसी कोई जादुई छड़ी भी नहीं है कि स्लमडॉग को दिखने से बचाया जा सके? क्योंकि दिल्ली के चेहरे पर पाउडर काफी नहीं हैं, जो उसके बदसूरत हिस्सों को छिपा सके और ऐसे हिस्सों को हटाना भी नामुमकिन है। खेलों के लिए सभी स्टेडियम भी तैयार कर लिये गये हैं और खिलाड़ियों और विदेशी मेहमानों की सुविधाओं को भी पूरा करने का प्रयास किया गया है, लेकिन जिस प्रकार से विदेशी पर्यटकों ने खेल गांव में सुविधाओं को लेकर उंगली उठाई है उसको पूरा करना भी आयोजन समिति के लिए एक चुनौती है।
दिल्ली पुलिस सारे देश के लिए मॉडल बन सकती है। सिर्फ भिखारी ही नहीं, पॉकेटमार या सैलानियों को धोखा देने में माहिर दूसरे पेशेवर भी हैं, उनसे निपटने की भी तैयारियां हो रही होंगी। आखिर देश को बदनामी से बचाना है। वैसे बदनामी के लिए अब तक खेलों के आयोजन से जुड़े महारथियों की करतूतें ही जिम्मेदार रही हैं। 18 हजार करोड़ रुपए की लागत से यमुना को एक नहर से हिंडन नदी को जोड़ा जा रहा है। यमुना में सीवर पानी के 22 नालों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाये गये। इन योजनाओं से दिल्ली को अधिक पेयजल मिल सकता है, पर्यावरण पर बोझ भी घटाया जा सकता है, लेकिन लगातार बारिश और यमुना में बाढ़ की स्थिति के कारण यमुना के रिवर बेड के सुंदरीकरण और पर्यावरण पर ध्यान देने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यह कहना मुश्किल है। रियल एस्टेट की नजर इस इलाके पर पड़ चुकी है। काफी हद तक कानून के तहत निर्माण भी हुआ है। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के तहत मेट्रो का व्यापक विस्तार हुआ है, दिल्ली में बेमिसाल निर्माण देखने को मिला है। इसमें कोई शक नहीं, कुछ समस्याओं के बावजूद खेलों के दौरान एक आलीशान शहर दिखेगा। दिल्ली खेलों के बाद भी ऐसी सजी संवरी नजर आएगी कि सारे देश से लोग यहां आकर बसना चाहेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें