रविवार, 31 अक्तूबर 2010

दागी प्रत्याशियों से लबरेज बिहार चुनाव

पहले तीन चरणों में हैं 379 दागी प्रत्याशी
ओ.पी. पाल
बिहार विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण की 47 सीटों पर सम्पन्न हुए चुनाव में जिस प्रकार अपराधी प्रवृत्ति के 154 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत अजमाई है, वहीं दूसरे चरण के 24 अक्टूबर को होने वाले 45 सीटों तथा 28 अक्टूबर को तीसरे चरण के 48 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों में भी अपराधी किस्म के प्रत्याशियों की कमी नहीं है। दूसरे और तीसरे चरण में लोजपा ऐसी इकलौती पार्टी है जिसने सर्वाधिक अपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को गले लगाया है, हालांकि भाजपा, जद-यू, राजद व कांग्रेस भी किसी से कम नहीं हैं। पहले तीन चरणों में ऐसे ही 379 प्रत्याशी सामने आएं हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने इसी माह के पहले सप्ताह में सर्वदलीय नेताओं की बैठक बुलाकर राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को रोकने जैसी कई परंपराओं पर अंकुश लगाने की कवायद की थी, जिसमें ऐसा कोई दल नहीं था जिसने आयोग की मंशा का समर्थन न किया हो। इसे देश की बिड़म्बना ही कहा जाएगा कि हरेक राजनीतिक दल राजनीति को अपराधीकरण से दूर रखने की दुहाई देते नहीं थकते, लेकिन इसके बावजूद बिहार विधानसभा के प्रथम चरण की तरह दूसरे और तीसरे चरण में भी आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने में किसी भी राजनीतिक दल ने परहेज नहीं किया और संगीन अपराध करने वाले प्रत्याशियों को भी अपनी गोद में बैठाने का काम किया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफोर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा चलाए जा रहे अभियान में जो तथ्य सामने आए हैं वह बिहार विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों की छवि को देखते हुए राजनीतिक दल अपराधियों को किस प्रकार से चुनाव मैदान में उतारने की तरजीह देते हैं उसकी भी पोल खोलते हैं। दूसरे व तीसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल के समय अपनी आपराधिक छवि को प्रत्याशियों ने शपथपत्र के जरिए उजागर किया है। नेशनल इलेक्शन वॉच एवं एडीआर के राष्ट्रीय समन्वयक अनिल बैरवाल द्वारा प्रत्याशियों द्वारा दाखिल शपथपत्रों के आधार पर प्रस्तुत की गई बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण की एक रिपोर्ट में 503 प्रत्याशियों में से 219 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैँ, जिनमें 129 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। इन दोनों चरणों में यानि 93 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 1410 उम्मीदवारों में जिन 503 ने शपथ पत्र दाखिल किये हैं में से सर्वाधिक 71 प्रतिशत लोजपा, 69 प्रतिशत भाजपा, 66 प्रतिशत जद-यू, 63 प्रतिशत राजद, 38 प्रतिशत बसपा तथा 31 प्रतिशत कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैँ। दोनों चरणों में दलों के अनुसार देखा जाए तो लोजपा के 21 में 15, भाजपा के 35 में 24, जद-यू के 50 में 33, राजद के 63 में 40, बसपा के 77 में 29 तथा कांग्रेस के 80 में 25 प्रत्याशी आपराधिक छवि से लबरेज हैँ। जहां तक संगीन अपराधों में लिप्त प्रत्याशियों का सवाल है उसमें लोजपा के सात, भाजपा के 14, जद-यू के 22, राजद के 20, बसपा के 19 व कांग्रेस के 12 प्रत्याशी शामिल हैें। इसके विपरीत पहले चरण के चुनाव में ऐसे ही 154 प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा चुके हैँ और उनके भाग्य ईवीएम में बंद हो चुके हैँ। पहले चरण में तो तीन प्रत्याशियों के खिलाफ बलात्कार जैसे संगीन अपराध भी सामने आए हैं। अभी तक तीनों चरणों के चुनाव के लिए खड़े प्रत्याशियों पर नजर डालें तो शपथपत्र में खुलासा करने वाले 962 प्रत्याशियों में 379 प्रत्याशियों के सिर पर आपराधिक मामले दर्ज हैँ।

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