कश्मीर पर भारत-पाक की तल्खी
ओ.पी. पाल
पाकिस्तान में आई भयंकर बाढ़ की चिंता किये बिना पाक के विदेश मंत्रालय से गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत के अंदरूनी मामले में दखल पर भारत ने जहां आपत्ति जताई है वहीं सत्तारूढ़ दल कांग्रेस भी इस मामले पर चुप नहीं बैठ सका और पाकिस्तान को अपने गिरेवान में झांकते हुए उसे उल्टी नसीहत दे डाली। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि पाकिस्तान के 124 जिलों मे से 79 जिले पूरी तरह से बाढ़ के कारण तबाही के कगार पर हैं जिनके लिए वह विश्व समुदाय से सहायता की अपेक्षा कर रहा है। लेकिन चीन की गोद में बैठकर पाकिस्तान दूसरे देशो के अंदरूनी मामलों में दखलनंदाजी करने से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा यह कहना कि भारत जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बनाते का राग अलापना बंद कर दे और कश्मीर की समस्या का समाधान भारतीय संविधान के तहत तलाशने से इस समस्या का हल नहीं निकलने वाला है। इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार की ओर से इस तरह का बयान आना भारत के अंदरूनी मामलों में सीधा दखल है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। कांग्रेस का आरोप है कि जम्मू कश्मीर मे जो भी समस्या है उसे भी सीमापार से ही प्रायोजित किया गया है। मनीष तिवारी का कहना है कि पाकिस्तान को यह नहीं भूलना चाहिए कि 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरिसिंह ने पूरे जम्मू-कश्मीर का विलय भारत के साथ किया था और जम्मू-कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है उसका एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान ने दो मार्च 1963 को चीन के हवाले कर दिया था। कांग्रेस का पाकिस्तान को चेताते हुए कहना है कि 1947 से 2010 तक भारत ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र और जमूरियत को मजबूत करने का लगातार भारतीय संविधान के तहत ही प्रयत्न किया है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से वहां साजिश करके समस्याएं पैदा की जा रही है, जिसका मुहंतोड़ जवाब देने के लिए भी भारत सक्षम है। विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि पाक अधिकृत कश्मीर में जो पाक लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा नहीं कर पा रहा है तो उसे भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। जबकि पाक अधिकृत कश्मीर के उत्तरी भाग में चीनी सैनिकों को जमावड़ा लगा हुआ है। पाक को हद में रहने की चेतावनी देते हुए कांग्रेस और भारत की पाकिस्तान को सलाह दी जा रही है कि पाक के लिए बेहतर होगा कि यदि वह पाक के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में विदेशी पत्रकारों के आवागमन की नीति शुरू करे। वहीं कांग्रेस ने तो पाक के बहकावे में आकर जम्मू-कश्मीर में समस्याएं पैदा करने वाले हुर्रियत जैसे अलगाववादी संगठनों को भी नसीहत दी है कि वह पाक अधिकृत कश्मीरियों के लिए भी दो आंसू बहा लिया करें। वहीं पाक अपने मुल्क की सोचे और भारत को नसीहत देना बंद करके अपने गिरेवान में झांकते हुए पाकिस्तान में ही फैली अराजकता को रोकने की सोच पैदा करे। गौरतलब है कि गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में स्थिति की आलोचना तेज करते हुए पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित ने कहा था कि जहां तक जम्मू-कश्मीर की बात है तो भारत को इधर-उधर दिखावा करने के बजाय अपना नजरिए और कश्मीर नीति बदलना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने से कुछ नहीं बदलने वाला है। अब्दुल बासित ने कहा कि जब तक भारत कश्मीर नीति पर पुनर्विचार नहीं करता, कुछ आत्ममंथन नहीं करता, जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न हिस्सा मानना नहीं छोड़ता, भारतीय संविधान के तहत उसका समाधान ढूंढने का प्रयास नहीं छोड़ता तब तक हम नहीं मानते हैं कि हम इस मुद्दे पर भारत के साथ सार्थक या परिणामोन्मुखीवार्ता कर सकते हैं।
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