रविवार, 31 अक्तूबर 2010

बिहार: चुनाव में बाहुबल व धनबल

चुनाव आयोग की सर्वदलीय बैठक के मायने क्षीण
ओ.पी. पाल
बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने जिस प्रकार से आपराधिक छवि वाले नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है उससे लगता है कि केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा धनबल और बाहुल की चली आर रही प्रवृत्ति को समाप्त करने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के कोई मायने नहीं रह जाते। दरअसल राजनीति के अपराधिकरण की पंरपरा को समाप्त करने की दिशा में चुनाव आयोग के साथ हुई विभिन्न दलों के नेताओं ने समर्थन करके ऐसी दुहाई दी जैसे बिहार चुनाव में उसे सभी पार्टियां लागू कर देंगी, लेकिन देखने में आ रहा है कि अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार बिहार में सभी दल धनबल व बाहुबल के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने की ठान चुके हों।
बिहार विधानसभा चुनाव में अभी तक दो चरण का चुनाव हो चुका है जबकि तीसरे चरण का चुनाव 28 अक्टूबर को होगा। इन तीन चरणों के चुनाव में ही देखें तो शपथपत्र दाखिल कर ऐसे 379 प्रत्याशी स्वयं स्वीकार कर चुके हैँ कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं जिनमें पहले चरण के 154 आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों में तीन ऐसे प्रत्याशी रहे जिनके खिलाफ बलात्कार के मामले चल रहे हैँ। हरिभूमि ने इससे पहले तीन चरणों तक के चुनाव में आपराधिक प्रत्याशियों के बारे में जानकारी प्रकाशित की थी, जिसके बाद चौथे चरण में कितने प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैँ की जानकारी दी जा रही है। इस बारे में एक अभिान के तहत काम कर रहे संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफोर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मुहिम चलाते हुए ऐसे तथ्य उजाकर किये हैँ जिनसे जाहिर है कि बिहार विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल धनबल और बाहुबल को बढ़ावा दे रहा है। चुनाव में आपराधिक छवि के प्रत्याशियों की पड़ताल करने के लिए देश भर के 1200 से अधिक एनजीओ संगठन काम कर रहे हैँ। नेशनल इलेक्शन वॉच के राष्ट्रीय समन्वय अनिल बैरवाल ने बिहार में चौथे चरण के चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों के दाखिल शपथपत्रों का अध्ययन करने के बाद जो तथ्य उजागर किये हैं उनमें सत्ताधारी जद-यू बाहुबल और धनबल को ज्यादा बढ़ावा दे रही है, जबकि कांग्रेस, राजद, लोजपा, भाजपा बसपा आदि दल भी इस परंपरा को तेजी से बढ़ाने में लगे हुए हैं। इस अभियान में बिहार चुनाव का आकलन कर रही गैर सरकारी संस्था इलेक्शन वॉच के बिहार शाखा के संयोजक अंजेश कुमार ने भी इन तथ्यों की जोरदार तरीके से पुष्टि की है। संस्था के मुताबिक चौथे चरण तक 1237 प्रत्याशियों के शपथपत्रों के आधार पर 481 प्रत्याशी आपराधिक छवि के दायरे में हैं। जिनमें 288 प्रत्याशी ऐसे हैँ जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, लूट व चोरी जैसे संगीन अपराध हैं। जहां तक चौथे चरण में आपराधिक प्रत्याशियों का सवाल है उसमें 91 प्रत्याशियों के नाम अपराध जगत से जुड़े हुए हैं जिनमें से 49 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले लंबित हैँ। चाथे चरण में राजद के 62 प्रतिशत, भाजपा के 53 प्रतिशत, कांग्रेस के 41 प्रतिशत, लोजपा के 40 प्रतिशत, जद-यू के 38 व बसपा के 37 प्रतिशत प्रत्याशी अपराधी छवि वाले हैँ। इन चारों चरण के प्रत्याशियों का आकलन किया जाए तो बसपा के 164 में 62, जद-यू के 102 में 54, भाजपा के 73 में से 47, कांग्रेस के 171 में 64, राजद के 122 में 69, लोजपा के 53 में 32 प्रत्याशी अपराधिक मामलों से लबरेज हैँ। धनबल की बात की जाए तो वर्ष 2005 के चुनाव में जहां करोड़पति प्रत्याशियों की संख्या केवल 36 थी तो इस बार चौथे चरण तक के प्रत्याशियों के शपथपत्रोें के विश्लेषण बता रहे हैं कि यह संख्या बढ़कर 147 हो गई है, जबकि अभी दो ओर चरणों का चुनाव बाकी है।

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