तीन रुपये में चावल व दो रुपए में गेंहू
ओ.पी. पाल
आखिर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को अंतिम रूप दे ही दिया गया है, जिसमें देश की 72 फीसदी आबादी को शामिल करके इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई कि अगले साल से इस कानून के जरिए देश के गरीब परिवारों को तीन रुपये में चावल और दो रुपये में गेंहू मुहैया कराया जाए। वहीं इस कानून के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किया जाएगा।
श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक में शनिवार को बहुचर्चित खाद्य सुरक्षा विधेयक को अंतिम रुप दिया गया। इस दौरान प्रत्येक बीपीएल परिवार को हर माह 25 किग्रा के बजाए 35 किलोग्राम अनाज यानी चावल तीन रुपए किलो, गेहूं दो रुपए किलो और बाजरा एक रुपए किलो के हिसाब से देने की सिफारिश की गई है। यही नहीं गैर-बीपीएल परिवार को प्रत्येक महीने 20 किलो अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य की आधी कीमत पर देने का प्रस्ताव किया गया है। सूत्रों ने बताया है कि विधेयक के प्रस्तावों में आम जनता को महंगाई से राहत दिलाने के लिए सरकार ने इस विधेयक को तैयार किया है और मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सिफारिशों को मंजूर करने के बाद यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। यह भी माना जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी के बाद इस विधेयक को आगामी शीतकालीन सत्र में पेश कर दिया जाएगा। इसके बाद इस कानून को अगले साल लागू कर दिया जाएगा यह भी जानकारी मिली है कि सरकार अभी 56 हजार 700 करोड़ रुपए की सब्सिडी खाद अनाजों पर दे रही है। पहले चरण में 15137 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी तथा अंतिम चरण में 15137 करोड रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी देगी यानी कुल मिलाकर 38 हजार करोड रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी सरकार देगी और कुल चार करोड 90 लाख टन अतिरिक्त अनाज दिया जाएगा। बताया गया है कि पहले चरण में 85 प्रतिशत ग्रामीण आवादी तथा अंतिम चरण में 90 प्रतिशत ग्रामीण आबादी इस योजना से लाभान्वित होगी। जबकि पहले चरण में 40 प्रतिशत शहरी आवादी तथा अंतिम चरण में शहरी 50 प्रतिशत आवादी लाभान्वित होगी। इस कानून को लागू करने से पहले बीपीएल परिवारों की सूची को संशोधित करके पात्र गरीबों को शामिल करके गैर-पात्रों को सूची से निकाला जाएगा। एक आंकडे के अनुसार पूरे देश में 8 करोड से ज्यादा बीपीएल परिवार है जबकि वास्तविकता में 13 करोड से अधिक लोगों के पास बीपीएल कार्ड है। सरकार बीपीएल परिवारों की पात्रता का आकलन करने के लिए तेंदुलकर समिति की भी मदद लेगी। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक में खाद्य सुरक्षा विधेयक को अंतिम रुप देते हुए नीतिगत प्रावधान किए गए हैं। इस बैठक में योजना आयोग के सदस्य प्रो. नरेन्द्र जाधव के अलावा प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एवं सांसद प्रो. एमएस स्वामीनाथन, सांसद रामदयाल मुंडा, ज्यां व्रेज, अरुणा राय, माधव गाडगिल, एनसी सक्सेना, दीप जोशी, फराह नकवी, हर्ष मांडर, माधव गाडगिल तथा प्रमोद टंडन ने भाग लिया।मिड-डे-मील भी होगा सस्ता
योजना आयोग के सदस्य प्रो. नरेन्द्र जाधव के अनुसार सलाहकार परिषद ने इस कानून से बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं तथा प्रसूता महिलाओं एवं मिड डे स्कूल के बच्चों तथा अनाज एवं कमजोर वंचित ग्रुप के लोगों को भी कानूनी रुप से अनाज सस्ते दर पर पाने का अधिकार मिल जाएगा। जाधव ने बताया कि बैठक में सार्वजनिक प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त बनाने का भी निर्णय लिया गया है। इस के तहत अनाज को भंडारण तथा खरीद को विकेंद्रीकृत किया जाएगा। राशन की दुकानों की शाखाओं के निजीकरण को खत्म किया जाएगा एवं पीडीपएस कमिशनों की समीक्षा की जाएगी तथा पीडीएस का कम्प्यूटीकरण किया जाएगा एवं सभी दस्तावेजों में पूरी पारदर्शिता लाई जाएगी एवं स्मार्ट कार्ड तथा बायोमेट्रिक प्रणाली भी लागू की जाएगी। उन्होंने बताया कि विधेयक के मसौदे को अंतिम रुप सलाहकार परिषद का वर्किंग ग्रुप करेगा। उन्होंने बताया कि बैठक में सर पर मैला ढोने की शर्मनाक प्रथा को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक खत्म करने के लिए केन्द्र को भी राज्यों में समन्वय करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि 1993 में संसद ने मैला ढोने वाले के रोजगार एवं खुला शौच निर्माण (प्रतिबंध) कानून पारित किया था पर पिछले सतरह साल में इस कानून के तहत अभी तक किसी को दंडित नहीं किया गया। इसलिए इस कानून के क्रियान्वन की हर तीन महीने पर निगरानी की जाएगी और यह प्रथा खत्म कर दी जाएगी।
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