ओ.पी. पाल
देश में भारत महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है, तो वहीं भारतीय महिलाएं लंबे अर्से से संघर्ष के बावजूद भले ही राजनीति में 33 प्रतिशत आरक्षण हासिल न कर पाई हों, लेकिन यह सत्य है कि 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिलाओं ने अपने चमकदार प्रदर्शन की बदौलत भारत के हिस्से में आए पदकों में अपनी हिस्सेदारी हासिल की है यानि भारत ने जितने पदक हासिल किये हैं उसमें एक तिहाई से भी अधिक पदक महिलाओं की उस दहाड़ का परिणाम है जिसे दुनियाभर में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
19वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की महिला खिलाड़ियों ने यादगार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए एक तिहाई से ज्यादा पदक जीतकर एक ऐतिहासिक लम्हा तैयार किया है। भारत ने इन खेलों के इतिहास में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 101 पदक हासिल किए, जिनमें महिलाओं का योगदान एक तिहाई से कहीं ज्यादा है। महिला खिलाड़ियों ने 13 स्वर्ण 11 रजत और 12 कांस्य सहित कुल 36 पदक हासिल किए हैं। पुरुष खिलाड़ियों के खाते में 25 स्वर्ण, 15 रजत और 24 कांस्य हैं तथा एक टीम रजत भी शामिल है। भारत ने खेलों के अंतिम दिन जो दो स्वर्ण पदक हासिल किए वो दोनों ही महिला बैडमिंटन खिलाड़ियों के रैकेट से निकलकर भारत की झोली गये। भारत की महिला निशानेबाजों, पहलवानों, एथलीटों, भारोत्तोलकों, बैडमिंटन और टेनिस खिलाड़ियों ने काफी उम्दा प्रदर्शन किया और यह दिखाया कि वे पुरुष खिलाड़ियों से कंधे से कंधा मिलाकर देश के लिए गौरव ला सकती हैं। एथलेटिक्स में कृष्णा पूनिया, हरवंत कौर और सीमा अंतिल ने महिला डिस्कस थ्रो में स्वर्ण, रजत और कांस्य जीत कर नया इतिहास बनाया। कृष्णा ने तो भारत को 52 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक दिलाया। मनजीत कौर, सिनी जोस, अश्विनी चिरानंदा और मनदीप कौर की चौकडी ने चार गुणा 400 मीटर रिले का स्वर्ण जीता। स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने खेलों के अंतिम दिन महिला एकल स्पर्धा का स्वर्ण जीता जबकि ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने महिला युगल में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा। टेनिस स्टार सानिया मिर्जा से भी भारत को स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन वह कड़ा संघर्ष करने के बावजूद महिला एकल मुकाबले में रजत पदक ही हासिल कर सकीं। देश की महिला पहलवानों ने गजब के दांव पेंच दिखाते हुए कुश्ती में एक नया इतिहास रचा और इस खेल को एक नया आयाम दे दिया। गीता ने 55 किग्रा वर्ग में, अलका तोमर ने 59 किग्रा वर्ग में और अनीता ने 67 किग्रा वर्ग में स्वर्ण जीता। महिला तीरंदाजी में दीपिका कुमारी, डोला बनर्जी और बोम्बाल्या देवी की तिकड़ी ने कमाल के निशाने साधते हुए रिकर्व टीम स्पर्धा का स्वर्ण जीता जबकि 16 वर्षीय दीपिका ने व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण जीत दोहरी स्वर्णिम उपलब्धि हासिल की। महिलाओं की भारोत्तोलन की 58 किग्रा स्पर्धा में रेणु बाला चानू ने करोड़ों देशवासियों की उम्मीदों का भार अपने मजबूत कंधों पर उठाते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। निशानेबाजी में अनीसा सईद ने 25 मीटर पिस्टल व्यक्तिगत स्पर्धा और फिर राही सरनोबत के साथ टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा दिया। हिना सिद्धू और अन्नु राज सिंह 10 मीटर पेयर्स एयर पिस्टल स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। महिला खिलाड़ियों के इस प्रदर्शन ने कई पुरुष खिलाड़ियों के प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया। गौरतलब है कि महिलाओं को संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण अभी तक नहीं मिल पाया हो, लेकिन महिला खिलाड़ियों ने राष्ट्रमंडल खेलों की भारतीय पदक तालिका में एक तिहाई से ज्यादा की भागीदारी करके ऐतिहासिक यादगार छोड़ दी है।
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