ओ.पी. पाल
अभिनव बिंद्राअभिनव बिंद्रा भारत में काबिल निशानेबाजों की उभरती पीढ़ी में सबसे बेहतर चमकते सितारे माने जा रहे हैं, जिनसे 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में सोने पर निशाना साधने की उम्मीद की जा रही है। अभिनव बिन्द्रा राष्ट्रमंडल खेलों के एंबेसडर भी हैं। बिंद्रा की निशानेबाजी के करियर में अनेक बेमिसाल उपलब्धियां हैं जो अपनी फार्म में भी हैं और देश की जनता को उनके ऊपर पूरा भरोसा है कि वह भारत को निराश नहीं करेंगे।
15 साल में निशानेबाज बनने वाले बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला स्वर्ण पदक लेकर अभिनव बिन्द्रा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े सितारे के रूप में पहचाने जाने लगे हैं जिनसे भारत को शानदार प्रदर्शन करने की अपेक्षाएं करना स्वाभाविक भी है। 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने वाले अभिनव बिन्द्रा एक ऐसे निशानेबाजों में शामिल थे जिनकी सबसे कम मात्र 15 साल की आयु थी। अपने प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने तीन साल बाद ही म्यूनिख में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर सटीक निशानेबाजों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी का अहसास तो करा ही दिया था, वहीं बिंद्रा के अचूक निशाने का लोहा भी माने जाने लगा। म्यूनिख में बिंद्रा ने 597/600 के स्कोर के साथ नया जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज करा लिया था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सितारे के रूप में दो साल पहले बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने भारत को व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला स्वर्ण पदक दिलाकर देश को गौरवान्वित किया। इससे पहले बिंद्रा ने 2001 में अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक नहीं, बल्कि छह स्वर्ण पदक हासिल किये। इसी शानदार सफलता की बदौलत भारत सरकार ने अभिनव बिन्द्रा को वर्ष 2001 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार देकर सम्मानित किया, जो खेल जगत में सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। यूं तो अभिनव बिन्द्रा को वर्ष 2000 में अर्जुन पुरस्कार भी मिल चुका था और बिंद्रा ऐसे निशानेबाजों में शुमार हैं जिन्हें ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद भारत सरकार ने वर्ष 2009 में उन्हें प्रतिष्ठित पद्म भूषण से भी सम्मानित किया। वर्ष 2002 के मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में बिंद्रा ने एयर राइफल मुकाबलों के पेयर इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया तो व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक पर ही संतोष करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने अपने हौसलें को बरकरार रखा। बिन्द्रा के लिए यह भी एक दुर्भाग्य का क्षण था जो रिकॉर्ड तोड़ने के बावजूद एथेंस ओलंपिक में भारत को पदक नहीं दिला पाये थे, लेकिन 24 जुलाई 2006 को जगारेब में वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव बिन्द्रा पहले भारतीय निशानेबाज बने। 2006 के मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेलो में उन्होंने पेयर्स इवेंट में भी अपना सटीक निशना सोने पर साधा, जबकि सिंगल्स स्पर्धा में उन्हें तीसरे स्थान पर कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। इसी साल यानि 2006 के दोहा एशियाई खेलों में अभिनव बिंद्रा कमर की चोट की वजह से हिस्सा नहीं ले सके थे। अमेरिका की कोलारोडो यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट अभिनव बिंद्रा के घर के पीछे एक शानदार इंडोर रेंज है जिसे वह अपनी प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल करते हैं। पेशेवर निशानेबाज तो वह हैं ही, वहीं अभिनव फ्यूचरोस्टिक्स कंपनी के सीईओ भी हैं। उनकी यह कंपनी भारत में जर्मन कंपनी वाल्थनर के हथियारों की इकलौती डिस्ट्रीब्यूटर है जो खास कर अपनी पिस्टल्स के लिए मशहूर है। बीजिंग ओलंपिक में भारत को सुनहरी सफलता दिलाने के बाद अभिनव सैमसंग और सहारा ग्रुप जैसी नामी कंपनियों के ब्रैंड एम्बैसडर बन गए हैं। इन सफलताओं के सफर को देखते हुए अभिनव बिन्द्रा से उम्मीद की जा रही है कि वह दिल्ली के राष्ट्रमंडल खेलों में बीजिंग जैसी कामयाबी को दोहराकर देश की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।
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