ओ.पी. पाल
भारत की मेजबानी में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों पर बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव रहेगा और निशानेबाजी, बॉक्सिंग, टेनिस, बैडमिंटन और हॉकी खासकर पुरुष हॉकी ऐसे खेल हैं जिनमें भारत की ताकत नजर आती है। लिहाजा इन विधाओं में भारतीय खिलाड़ियों पर भरोसा किया जा सकता है कि वह भारत को सोने के तमगा दिलाकर देश की उम्मीदों पर खरा उतरें।
राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी जब भारत कर रहा हो तो स्वाभाविक है कि भारतीय खिलाड़ियों पर कुछ अच्छा कर दिखाने का दबाव होगा। भारत जिन खेलों में सबसे ताकतवर नजर आता है तो उसमें निशानेबाजी, बॉक्सिंग, बैडमिंटन, टेनिस और पुरुष हॉकी पर भरोसा किया जा सकता है कि इन विधाओं में भारत सोने का तमगा हासिल कर सकता है। जहां तक निशानेबाजी का सवाल है उसमें भारत के पास वर्ल्ड चैंपियन अभिनव बिंद्रा और तेजस्विनी सांवत हैं, तो गगन नारंग भी निशाना भेदने के माहिर हैं। राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजों के बीच कुल 26 मुकाबले होंगे, जिनमें 16 पुरुषों और 10 महिलाओं के मुकाबलों में हरेक खिलाड़ी के सामने कई तरह के लक्ष्य होंगे, जिन पर 26 स्वर्ण पदक टंगे होंगे। भारत को पूरी उम्मीद है कि इनमें दो स्वर्ण पदक भारत के स्टार निशानेबाज अभिनव बिंद्रा अपनी झोली में गिराने की कुबत रखते हैं। बिंद्रा 2002 से लगातार 10 मीटर एयर रायफल और 10 मीटर पेयर्स में जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। ओलंपिक में 28 साल बाद भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले अभिनव अब तक शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भारत को पांच स्वर्ण पदक दिला चुके हैं। बिंद्रा की इस मुहिम मे उनका साथ गगन नारंग देंगे, जो अब तक अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में चार स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया के नक्शे पर छाये हुए हैं। वर्ष 2003 में पहली बार एफ्रो एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाला यह निशानेबाज गगन नारंग लगातार सधे प्रदर्शन के लिए मशहूर है और हाल ही जर्मनी के म्यूनिख शहर में हुई वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में भी नारंग ने कांस्य पदक जीतकर दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अपनी राह ज्यादा आसान कर ली है। इसी प्रकार समरेश जंग की भी काबिलियत पर भारत को पूरा भरोसा है। महिला निशानेबाजी में जर्मनी में एक नई उम्मीद पैदा कर चुकी महाराष्ट्र की 30 साल की तेजस्विनी सावंत 2006 में ही पहला सोने का तमगा अपनी झोली में डाल चुकी हैं, लेकिन उनकी प्रतिभा पर इस बार वूमन शूटिंग चैंपियनशिप के दौरान नजर गई। तेजस्विनी 10 मीटर एयर रायफल से लेकर 50 मीटर एयर रायफल में हिस्सा लेती हैं। वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में वह दोनों तरह के मुकाबलों में स्वर्ण जीत चुकी हैं, तो उनसे भारत को अपने देश में हो रहे राष्ट्रमंडल खलों में शानदार प्रदर्शन करने उम्मीद करना स्वाभाविक ही है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को अगर निशानेबाजी के अलावा कहीं ओर से पदक जीतने की सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं तो वह हैं मुक्केबाजी और बैडमिंटन। मुक्केबाजी में हरियाणा की तिकड़ी विजेंदर कुमार, अखिल कुमार और दिनेश कुमार पर करोड़ों खेल प्रेमियों को पूरा भरोसा है कि वे उन्हें कभी निराश कर पाएंगे। वर्ल्ड बॉक्सिंग से लेकर ओलंपिक और फिर राष्टÑमंडल बॉक्सिंग चैंपियशिप तक पदकों की झड़ियां लगा देने वाले ये मुक्केबाज गजब की फॉर्म में है। बैडमिंटन की बात की जाए तो भारत और खेल प्रेमियों की नजरें देश की उम्मीदों का नेतृत्व करने वाली सायना नेहवाल पर जाकर टिकती हैं, जो इसी साल लगातार तीन बड़े मुकाबले जीतकर राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक की हकदार भी मानी जा रही है। विश्व की नंबर दो खिलाड़ी सायना का दावा भी इसी लक्ष्य पर टिका हुआ है। टेनिस में भी सानिया मिर्जा के अलावा महेश भूपति, लिएंडर पेस, रोहन बोपन्ना, सोमदेव वर्मन पर भारत को भरोसा है कि वह भारत की झोली में पदक डालने में सफल होंगे। वहीं कुश्ती में भी भारत को सुशील कुमार से काफी उम्मीदें हैं जो हाल ही में भारत को इतिहास में पहला स्वर्ण पदक दिलाने में सफल रहे। वैसे तो पाकिस्तान को हराने के बाद विश्व विजेता आस्ट्रेलिया को धूल चटाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के 11 लड़ाकों से भी उम्मीदें रखी जा रही है, जो राष्ट्रमंडल खेलों में भी चक दे इंडिया का मौका दे सकती है।
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