भारतीय स्टार निशानेबाज समरेश जंग 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में उस उम्मीद पर खरे नहीं उतरे, जिसकी भारत को उम्मीद थी। जबकि मेलबोर्न राष्ट्रमंडल में अपने नाम पांच स्वर्ण पदक करने वाले समरेश को 'सर्वश्रेष्ठ एथलीट' का सम्मान भी मिला था, जिसके वे भारत की ओर से पहले ऐसे खिलाड़ी बनें जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया। इसके बावजूद अपनी ही सरजमीं पर हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में उनका प्रदर्शन निराशा जनक रहा और उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा है। हालांकि इन खेलों में समरेश ऐसे अकेले ही स्टार नहीं जो अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने से चूके हैं, लेकिन उनकी उपलब्धियों के आधार पर भारत को उनसे काफी उम्मीदें थी।
दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलो में भारतीय निशानेबाजों के दल में गगन नारंग एक बड़े स्टार के रूप में उभरकर सामने आएं हैं जिन्होंने अपने ही रिकार्ड ध्वस्त किये हैं। इसके विपरीत भारतीय निशानेबाजों में सबसे ज्यादा उम्मीदें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्टार बनकर उभरे समरेश जंग पर लगी थी, लेकिन यहां उनका प्रदर्शन लुप्त होता नजर आया। राष्ट्रमंडल खेलों के दसवें दिन यानि बुधवार को समरेश जंग निशानेबाजी प्रतियोगिता की 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक हथिया सके। हालांकि उन्होंने मंगलवार को इस स्पर्धा के युगल वर्ग में चंद्रशेखर कुमार चौधरी के साथ मिलकर रजत जीता था। लेकिन एकल मुकाबले में कांस्य पदक पर ही उन्हें संतोष करना पड़ा। देशवासियों को इन खेलों में निराश कर चुके निशानेबाज समरेश जंग की पिछली उपलब्धि कोई सामान्य नहीं हैं, जिन्होंने सिंगापुर के गेयबिन में 570 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता था। भारत की मेजबानी में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी स्पर्धा में भारत को अपने स्टार से सबसे ज्यादा प्रदर्शन की उम्मीद थी, जो राष्ट्रमंडल खेलों के ब्रांड अम्बेसडर भी थे, लेकिन उनके भाग्य ने साथ नहीं दिया। जहां तक समरेश जंग की निशानेबाजी में मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेलों की उपलब्धियों का सवाल है उसमें उन्होंने पुरुषों की 50 मीटर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल, 25 मीटर पिस्टल, 10 मीटर पिस्टल तथा 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल प्रतियोगिता में भारत को स्वर्ण पदक दिलाए थे। मेलबोर्न में उनके प्रदर्शन से अन्य देश हैरत में पड गये थे, जिन्होंने पुरुषों की 50 मीटर पिस्टल में रजत और 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक भी अपने नाम किया था। जबकि इससे पूर्व समरेश जंग ने मेनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेल-2002 में 50 मीटर पिस्टल और 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा मे दो स्वर्ण जीते। वहीं इन खेलों में उन्होंने तीन रजत पदक भी हासिल किए थे। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक स्टार निशानेबाज के रूप में उभरे समरेश जंग की पिस्टल में जंग कैसे लग गया इस बात को लेकर भारतीयों को आश्चर्य में पड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। सत्तर के दशक में जन्मे समरेश जंग केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है। चीन में आयोजित बीजिंग ओलंपिक को छोड़ दें तो राष्ट्रमंडल खेलों में समरेश जंग का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व स्वयं समरेश जंग भारत की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अपनी मेहनत का गुनगान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और वे मानते रहे कि घरेलू दर्शकों का उन पर बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव जरूर रहेगा। इसके विपरीत इन राष्ट्रमंडल खेलों में स्टार निशानेबाज समरेश जंग ने घरेलू दर्शकों को ऐसा निराश किया कि पिछले दो राष्टÑमंडल खेलों में हीरो बनकर उभरे समरेश यहां एक तरह से जीरो साबित हुए जैसे उनकी पिस्टल को जंग लग गया हो। हालांकि इन खेलों में समरेश अकेले नहीं हैं उनकी तरह कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय सितारे बनकर उभरे भारतीय खिलाड़ी अपनी स्पर्धाओं निराशाजनक प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन भारत का सिर ऊंचा करने में कई छुपे रूस्तम भारतीय खिलाड़ियों ने बेजोड़ प्रदर्शन कर इतिहास बनाकर इनकी कमियों को पर्दे के पीछे धकेलने का काम किया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें