जांच में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
ओ.पी. पाल
कारगिल के शहीदों की विधवाओं के हक यानि उनके अधिकारों का देश के सेना प्रमुखों, नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों द्वारा मुंबई में बनाए गये फ्लैटों में जमावड़ा करके हनन करने का कोई यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी देश की रक्षा करने के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों के साथ छल किया जाता रहा है। इन फ्लैटों के आवंटन में हुए कथित घोटालों में जहां सेना के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है, वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर भी गाज गिरने से इंकार नहीं किया जा सकता।
खासकर कारगिल के शहीदों के आश्रितों के लिए की जाने वाली सरकार की घोषणाएं खोखली ही साबित हुई है। देखने में आया है कि सरकार वायदे के अनुसार देश की रक्षा करते हुए शहीद होने वाले जवानों की विधवाओं और आश्रितों को सहायता देने के लिए आधार तो तैयार कर देती है, लेकिन उस आधार पर शहीदों के आश्रितों के अधिकारों का उल्लंघन करने में राजनीतिज्ञ, नौकरशाह और स्वयं सेना के अधिकारी कभी पीछे नहीं रहे हैं। जहां तक कारगिल के शहीदों की विधवाओं को सहायता देने का सवाल है उन्हें पेट्रोल पंपों का आवंटन करने का भी सरकार ने वादा किया था, लेकिन आधे से अधिक पेट्रोल पंप या गैस एंजेंसियों का अभी तक भी आवंटन नहीं किया गया, जिसमें सरकार की इस नीति के विरोध में तीन साल पहले एक शहीद की विधवा ने पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा की एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान शास्त्री भवन में आत्मदाह करने का भी प्रयास किया था। इस प्रकार शहीदो के आश्रितों के अधिकारों के हनन के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें संसद भवन पर आतंकी हमले के शहीदों की विधवाओं द्वारा सरकार की उपेक्षा से तंग आकर केई बार उनके मरणोपरांत मिले मेडल वापस करने की भी धमकी दी जा चुकी है। मुंबई में कारगिल के शाहीदों की विधवाओं द्वारा बनाए गये फ्लैटों के आवंटन में हुए कथित घोटाले ने तो शहीदों की कुर्बानियों के साल किये गये खिलवाड़ की पोल खोलकर रख दी है, जिसमें सत्ताधारी दल के मुख्यमंत्री के ही रिश्तेदारों ने शहीदों की विधवाओं के फ्लैटों पर अपने नाम से आवंटन कराकर कब्जा कर लिया है। हांलाकि केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया। रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी ने तो मुंबई के कोलाबा में 31 मंजिला इमारत में बनाये गये फ्लैटों के आवंटन की जांच कराई है, जिसमें रक्षा मंत्रालय ने प्रथम दृष्टय मुंबई के इस विवादित आदर्श हाउसिंग सोसायटी परियोजना में आपराधिक साजिश की बात कही है। इस जांच में रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि इसमें सेना प्रमुखों, राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों को मिट्टी के मोल फ्लैट दिए जाने का मामला सामने आया है। गौरतलब है कि रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी ने इसी महीने इस घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं और मंत्रालय ने सेना, नौसेना और डिफेंस एस्टेटस से इस विवाद और इसकी पृष्ठभूमि पर रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के अनुसार सेना और डिफेंस एस्टेटस निदेशालय ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जबकि नौसेना की रिपोर्ट अभी आना बाकी है। इस जांच रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं उनमें कारगिल के शहीदों की विधवाओं के लिए आदर्श हाउसिंग सोसायटी परियोजना में बनी बहुमंजिला इमारत में पूर्व सेना प्रमुखों जनरल एनसी विज और दीपक कपूर, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल माधवेन्द्र सिंह, थलसेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शांतनु चौधरी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं शिवसेना सांसद सुरेश प्रभु उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें इस इमारत में फ्लैट अलॉट किए गए हैं। विवादित आदर्श सोसायटी परियोजना में फ्लैटों को लेकर महाराष्टÑ सरकार कठघरे में है, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की मां और रिश्तेदारों के नाम से भी फ्लैट आवंटित किये गये हैं। रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने तो यहां तक कह दिया है कि आदर्श सोसायटी विवाद में आपराधिक साजिश में सेना के कुछ अधिकारियों के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और ऐसे अधिकारियों रक्षा मंत्रालय किसी प्रकार का रहम करने वाला नहीं है। रक्षा मंत्रालय की इस जांच और चेतावनी के बाद इन फ्लैटों का विवाद गहराने से पूर्व सेना प्रमुखों जनरल एनसी विज और दीपक कुमार के अलावा पूर्व नौसेना प्रमुख माधवेन्द्र सिंह आदि अपने नाम से आवंटित फ्लैटों की बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं और इन फ्लैटों को छोड़ने के लिए तैयार हैं। वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर गाज गिरने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता, जिन्हें कांग्रेस हाईकमान ने तलब किया था और उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश भी कर दी है। अब देखना है कि इस प्रकरण पर केंद्र सरकार किस प्रकार की कार्रवाही अमल में लाएगी।
यह तो नेताओं और अफसरों का कर्तव्य है...
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